आए दिन हो बंम के धमाके जनता मर मर जाए।
नित नये वादे कर कर के ये जनता को भरमाए।
कोई चारा खा कर बैठा , जरा नही शर्माए ।
कोई जवानों के कफनों पर, बैठ कमीशन खाए।
इनकी बला से भाड़ मे जाए देश की जनता सारी।
इन को बस कुर्सी ही है , भाया ! सब से प्यारी ।
रंगें सियार सभी यहाँ हैं, क्या जनता करे बेचारी।
मुखिया प्यारे शर्म आ रही, देख तेरी सरदारी।
जरा सोचकर देखो भाया! कुर्सी किसने दी है।
देशकी भोली जनता की, कब कब किसने ली है।
जनता के हाथों मे बस इक मत की ताकत दी है।
चोर उच्चक्कों मे से नेता चुनने की लाचारी है।
जिस देशके विभाग-सरकारें नेता सबहो सोये।
फिर आएगें आतंकी प्यारे! रोक सका कब कोये।
राम भरोसे देश है अपना ,कौन बचाए तोहे।
चलो बैठ कर अपनी-अपनी छाती पीट के रोये।
सब के साथ मिल ढंढोरची पूछे एक सवाल-
तुम्हें नेता किसनें बनाया ......सा....