प्यारे नारद जी,
बहुत दिनों से आप के दर्शन नही हो रहे...क्या कारण हैं?आप के बिना सब कुछ सूना-सूना लग रहा है।अजीब-अजीब ख्याल घेर लेते हैं..कहीं आप भू लोक को छोड़ देव लोक तो नही चले गए? या फिर इन्द्रलोक की अप्सराओं के मोह पाश में फँस गए हैं? यहाँ चिट्ठाकारों मे दिनोंदिन भय का संचार बढता जा रहा है...आप का विरह अब चिट्ठा भगतों से सहा नही जा रहा...कृपया शीघ्र लौटनें की कोशिश करें।आप की याद में एक पद आप को समर्पित है(क्षमा याचना सहित)---
लौटों नारद प्यारे अब लौटों।
चिट्ठाकार पुकारत कब ते समें ना कीजै खोटों॥
विरह वेदना सही न जावे,तेरी याद में हो गयो मोटो।
देखना चाहें अँखियां प्यासी,तेरी बोदी वाली फोटों॥
बिन देखे मन इत-उत भट्कत,खुल-खुल जात लगोटों।
कहत ढंढोरची नारद तुम जैसी कोई ना देत है ओटो॥(ओट)
5 टिप्पणियाँ:
November 5, 2007 at 10:45:00 PM GMT+5:30
वत्स इतने व्याकुल क्यों हो रहे हो, हम जल्द ही लौटते है। सूचना के लिए हमारे ब्लॉग को देखते रहो। तब तक इसको देखो :
http://narad.akshargram.com
November 5, 2007 at 11:05:00 PM GMT+5:30
जैसे आपने ओटो समझाया है ओट..वैसे ही कृप्या इस पंक्ति की व्याख्या भी कर दें तो बहुत आराम हो जायेगा समझने में:
देखना चाहें अँखियां प्यासी,तेरी बोदी वाली फोटों॥
पूर्व में ही आभार दिये दे रहा हूँ. :)
November 5, 2007 at 11:42:00 PM GMT+5:30
नारद मुनि की चुटिया वाली फोटू याद रह गई आपको!!
सही लिखा है!!
November 6, 2007 at 9:15:00 AM GMT+5:30
missing you narad
November 6, 2007 at 11:28:00 AM GMT+5:30
देव प्रगट होंगे...
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