एक दिन नीटू के पिता
अब झूठ
कोई ना बोल सकेगा
झूठ बोलनें वाले को
एक चाँटा पडेगा।
उसी रात नीटू
देर से घर आया।
यह देख पिता गुस्साया।
पूछा- इतनी देर कहाँ लगा दी?
"दोस्तों की पार्टी थी" नीटू ने सफाई दी।
"क्या तुमनें पार्टी में दारू पी?"
"मैं तो कभी दारू नही पीता.. पिता जी"
यह सुन रोबट ने उठ चटाक! से चपत लगाई।
पिता ने फिर पूछा-"अब सच बोलो भाई"
नीटू सकपकाया..बोला-
"दोस्तों ने जबरद्स्ती बस थोड़ी-सी चखाई।"
पिता बोला-
"जब हम तुम्हारी उमर के थे"
"बस,पूजा पाठ करते थे"
"माँ-बाप से बहुत डरते थे"
"मेरी बात तुम्हारी समझ में आई?"
यह सुन रोबट ने
पिता को भी एक जोरदार चपत लगाई।
बाप बेटे की बातें और शोर सुन
रसोई में काम करती माँ भी
काम छोड़ तुरन्त बाहर आई।
वह बोली-"यह दारू भी पीएगा"
"झूठ भी बोलेगा"
"तुम्हारा बेटा है"
" तुम से ही तो इसनें सारी आदतें हैं पाई।"
यह सुन कर रोबट फिर उठा
नीटू की माँ को भी
एक जोरदार चपत लगाई।
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