Thursday, November 8, 2007

यह वह नारद जी नहीं लगते जो गए थे

3 टिप्पणियाँ
नारायण!नारायण! नारद महाराज के आनें से चिठ्ठाकारों में प्रसन्नता की लहर दोड़ गई है...लेकिन ठहरिए!...क्या ये वही नारद जी हैं जो गए थे?...जी नही..लगता तो नहीं...यह बात अलग है कि सूरत तो वही नजर आ रही है...लेकिन बहुत कुछ बदल गया है।...बदला कहना सही नही होगा क्योंकि मुझे तो उन का परिचय पा कर ऐसा लगता है कि पहले जो नारद थे, वह शायद नाटकों में काम करनें वाले नारद जी थे( जो कई बार ब्लोग बैनं कर देते थे..आपत्तिजनक होनें पर उनकी नजर में) और जो यह नारद जी हैं ,यह तो असली से लगते हैं। क्यूँ यकीन नही आ रहा आप को?...लेकिन यह है बिल्कुल सच!....देखा नही आपनें? आते ही घोषणा कर दी...कि कुछ भी लिखों,किसी बारे मॆं लिखों...इस के लिए हम यानि की नारद जी की कोई जिम्मेवारी नही।...आप जो बोएगें वही काटेगें।...अपने किए, कहे के आप ही जिम्मेदार होगें।समझे! या नही समझे?...चलो हमी बता देते हैं। नारद जी कहना चाहते हैं कि हम भी वही सब करनें के लिए आजाद है, जो वह यानि कि नारद जी,हमेशा देवलोक और दानव लोक में हमेशा करते रहे हैं।नारद जी यही काम तो करते हैं। जहाँ मौका मिले...किसी को उकसा दो और अहंकारीयों का अहंकार जगा कर उसे आपस मेंभिड़्वा दो और खुद दोनों की लड़ाई का तमाशा देखो।अब हमें भी यह सब करनें की आजादी है।लेकिन भाया! जरा संम्भल कर करना...जो भी करना..उसे करनें से पहले दस बार सोच जरूर लेना। कही कुछ ऐसा ना लिख मारना कि लेनें के देनें पड़ जाए। आगे ज्यादा क्या कहें, सभी हम से ज्यादा समझदार हैं।...आगे आप की मर्जी।बातें तो बहुत हो गई...लिजिए अब कुछ हमारी लेखनी ने जो शब्द उगले हैं उन्हें पढ़ कर हमें कृतार्थ करें।
एक दोहा नारद जी को समर्पित--

लौट के आए नारद जी नयी सज्जा के साथ।
लगता है अब रच डालेगें एक नया इतिहास॥

और यह पद आप के लिए

आये! लौट के नारद आए।
नया विचार,नया जोश,नयी उमंगें लाए॥
जिम्मेवारी नहीं कोई मेरी,ब्लोगर को समझाए।
खीचों टाँगें जैसे मर्जी,अपने जिम्मे पर भाय॥
पहले देवों को उकसाते थे,अब ब्लोगर उक्साए।
कहत ढंढोरची नारद जी अब असली रंग में आए॥

3 टिप्पणियाँ:

Udan Tashtari says:
November 8, 2007 at 5:57:00 AM GMT+5:30

सही कह रहे हो. लगते तो नहीं मगर सुना है वो ही है. खैर, हैं बड़े तेज. बधाई लायक काम है.

मसिजीवी says:
November 8, 2007 at 11:29:00 AM GMT+5:30

हॉं भई गति है अब उनका यू एस पी
अच्‍छा सोचा है। एक ब्रेड एंड बटर एग्रीगेटर- बेसिक पर तेज।

राजीव तनेजा says:
November 13, 2007 at 10:11:00 PM GMT+5:30

वाह!...उस्ताद जी मान गए आपको तो ...
अपने नाम के अनुरूप सही निर्वाह कर गए आप...

जानकारी के लिए धन्यवाद

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