यह विज्ञान का युग है। यहाँ कब क्या हो जाए...कब नया अविष्कार हो जाए ...कोई नही जानता। अब इस मशीनी युग में कुछ भी असंम्भव नही लगता। यह भी एक ऐसा ही अविष्कार है जो....शायद कहीं होनें जा रहा होगा....या आनें वाले समय में हो जाएगा।(नोट-इस के बारे में कहीं पढ़ा था) मूझे तो ऐसी ही आशा है...आप को है या नही...इस के बारे में आप जानें!......यहाँ पर एक "सच बुलवानें वाले रोबट" का जब अविष्कार होगा तो क्या होगा... जो जब भी कोई झूठ बोलता है तो उसे चाँटा लगाता है। उस की एक झलक कविता के रूप में पढ़े........
एक दिन नीटू के पिता
एक सच बोलनें वाले रोबट को
खरीद घर लाए।
और मन ही मन मुसकाए।
अब झूठ
कोई ना बोल सकेगा
झूठ बोलनें वाले को
एक चाँटा पडेगा।
उसी रात नीटू
देर से घर आया।
यह देख पिता गुस्साया।
पूछा- इतनी देर कहाँ लगा दी?
"दोस्तों की पार्टी थी" नीटू ने सफाई दी।
"क्या तुमनें पार्टी में दारू पी?"
"मैं तो कभी दारू नही पीता.. पिता जी"
यह सुन रोबट ने उठ चटाक! से चपत लगाई।
पिता ने फिर पूछा-"अब सच बोलो भाई"
नीटू सकपकाया..बोला-
"दोस्तों ने जबरद्स्ती बस थोड़ी-सी चखाई।"
पिता बोला-
"जब हम तुम्हारी उमर के थे"
"बस,पूजा पाठ करते थे"
"माँ-बाप से बहुत डरते थे"
"मेरी बात तुम्हारी समझ में आई?"
यह सुन रोबट ने
पिता को भी एक जोरदार चपत लगाई।
बाप बेटे की बातें और शोर सुन
रसोई में काम करती माँ भी
काम छोड़ तुरन्त बाहर आई।
वह बोली-"यह दारू भी पीएगा"
"झूठ भी बोलेगा"
"तुम्हारा बेटा है"
" तुम से ही तो इसनें सारी आदतें हैं पाई।"
यह सुन कर रोबट फिर उठा
नीटू की माँ को भी
एक जोरदार चपत लगाई।
1 टिप्पणियाँ:
December 21, 2007 at 2:51:00 PM GMT+5:30
सच अगर ऎसा रोबट आ गया,तो भाई झूठ की बॆशाखियों पर खडी ये दुनिया तो चार कदम भी नहीं चल सकेगी.
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