समीर जी का जन्म दिन मना रहे सब लोग।
घर मे बैठे लगा रहें बड़े केक का भोग ।
बड़े केक का भोग,ना सारा तुम खा जाना,
अपने मोटापे पर भी जरा नजर दोड़ाना।
जन्म दिन था आज कहाँ तुम छुपकर बैठे।
अपने चिट्ठाकारों संग तुम क्यूँ कर ऐठें।
तुम क्यूँ कर ऐठे,बात कुछ समझ ना आई,
समीर जन्मोत्सव की क्या नही लेनी बधाई।
(क्षमा याचना सहित)
9 टिप्पणियाँ:
July 29, 2007 at 5:46:00 PM GMT+5:30
समीर जी को जन्म दिन की बहुत-बहुत बधाई।
July 29, 2007 at 6:11:00 PM GMT+5:30
समीर भैय्या को कोटिश: बधाईयां
July 29, 2007 at 6:23:00 PM GMT+5:30
हे हे सही कहा, आखिर समीर जी हैं कहाँ?
July 29, 2007 at 8:46:00 PM GMT+5:30
समीर जी को आज एक बडा केक सुबह ही मिल गया था,वो अभी उसे अंदर से खाने मे लगे है..खत्म होने पर प्रकट हो जायेगे...:)
July 29, 2007 at 9:27:00 PM GMT+5:30
समीरलाल को जन्मदिन पर साधुवाद.
July 29, 2007 at 10:00:00 PM GMT+5:30
बधाई समीरजी को एक बार फ़िर से।
July 30, 2007 at 5:00:00 AM GMT+5:30
आप सभी का शुभकामनाओं के लिये आभार.
कृप्या ऐसा ही स्नेह बनाये रखें. बहुत अच्छा लगा आप सबका इतना सतत स्नेह पाकर.
ढ़िढ़ोरची जी ने खास अंदाज में रचना रच दी, बहुत आनन्द आया.आपका बहुत बहुत आभार. :)
July 30, 2007 at 8:04:00 AM GMT+5:30
जन्म दिन की बहुत-बहुत बधाई समीरजी:)
July 30, 2007 at 8:01:00 PM GMT+5:30
आभार, रंजू जी.
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